राम मंदिर
22 जनवरी, 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार है और अगले दो सालों में पूरा भव्य मंदिर बना लेने की योजना है। इस मंदिर के निर्माण के लिए देश की विभिन्न अदालतों में लंबी लड़ाई चली है। वर्ष 1526 में मुगल बादशाह बाबर के हिन्दुस्तान आने के दो साल बाद उसके सूबेदार मीरबाकी ने राम जन्मभूमि में मस्जिद बनवाई। 19वीं सदी में मुगलों का शासन कमजोर पड़ गया और देश में अंग्रेजी हुकूमत मजबूत हो चुकी थी। इसी कालखंड में हिंदुओं ने यह मामला उठाया कि भगवान राम के जन्मस्थान मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। इसके बाद से रामलला के जन्मस्थल को वापस पाने की कानूनी लड़ाई शुरू हुई। 1859 में ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी। परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति मिली। वर्ष 1885 में इस विवाद में पहला मामला दर्ज हुआ, जिसका पटाक्षेप 134 सालों बाद 9 नवंबर 2019 को सु्प्रीम कोर्ट के फैसले से हुआ। पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया। 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन के साथ राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। ढाई साल में मंदिर का पहला तल बन कर तैयार हो चुका है और इसके गर्भ गृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। इस समारोह में साढ़े छह हजार से ज्यादा विशिष्ट मेहमानों को शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है। राम मंदिर तीन मंजिला होगा और पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह पूर्व से पश्चिम दिशा में 380 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी। इसमें कुल 392 स्तंभ होंगे और 44 द्वार होंगे। भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी।
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्रधानमंत्री इस विशिष्ट धार्मिक आयोजन के मुख्य यजमान होंगे। इसके लिए निमंत्रण पत्र देश के 7000 से ज्यादा विशिष्ट अतिथियों को भेजा गया है। इनमें 4000 संत और 3000 के करीब अन्य मेहमान हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। वह सख्त दिनचर्या का पालन करते हुए और सात्विक भोजन कर रहे हैं। बताया गया है कि 22 जनवरी को वह व्रत रखेंगे और वह सरयू नदी में स्नान करने के बाद मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पूजा शुरू होगी।