पत्रकारिता (मीडिया) को लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहा जाता है। मीडिया को माइनस करके लोकतंत्र बचाना संभव नहीं है। पूर्व के काल में अख़बारों को यह संज्ञा मिली थी। उस काल में मीडिया के नाम पर सिर्फ अख़बार (प्रिंट मीडिया) ही था। आज मीडिया के पूरे स्पेस में प्रिंट मीडिया का बमुश्किल 20 प्रतिशत कब्ज़ा है। मीडिया का शेष 80 प्रतिशत स्पेस इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया है। या ऐसा कहें कि आज इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया ही लोकतंत्र का वाच डॉग बन चुका है। कभी-कभी अख़बार बंद भी हो जाते हैं, तो समाज में कोई हलचल नहीं होती! किन्तु यदि मोबाइल-टीवी बंद हो जाये, तो झोपड़ी से लेकर अट्टालिकाओं तक में कोहराम मच जाता है। लोग अख़बार पढ़ें या न पढ़ें, मोबाइल-टीवी उनकी जिज्ञासा को तुष्ट कर देता है।
आज इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया स्पॉट से न्यूज़ कलेक्ट करता है। और उसे प्रभावशाली बना कर त्वरित प्रसारण करता है। वह न्यूज़ को मनमाफिक धार देता है। और जनमत को अपनी दिशा में मोड़ लेता है। इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया का यही गुण है। और इसी के कारण धन और सत्ता के आकांक्षी लोगों ने इन पर अपना आधिपत्य जमा लिया है। और ये लोग अपने मनमाफिक रिजल्ट निकालने में लगे हुए हैं। ऐसे में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हॉउसों में आपा-धापी है कि कौन सबसे पहले शासक वर्ग से ज्यादा से ज्यादा लाभ बटोर पाता है!
इसी आपा-धापी में आज की मीडिया समाज के बहुत बड़े हिस्से की उपेक्षा कर रही है। कभी-कभी तो वह विकासमान सामाजिक शक्तियों की राह में रोड़े ही नहीं, चट्टान भी बन जाती है। वह प्रायः अपने कुत्सित स्वार्थों की पूर्ति के लिए विचार प्रवाह की मन्दाकिनी को मटमैली कर देती है। तभी तो यह आम धारणा बन चुकी है कि मीडिया का वर्तमान चरित्र 1920 या 1942 में रहता, तो भारत आज़ाद नहीं होता!
“पंचमुखी न्यूज़” की परिकल्पना आज की आवश्यकताओं, मीडिया के चरित्र की सच्चाइयों तथा शास्त्रों के संकेतों सब को समेटते हुए एक स्वच्छ मीडिया मंच का निर्माण करना है। प्रकृति ने हमारे हाथों में पांच अंगुलियां दी हैं। किसी विवाद को निपटाने के लिए पंच भी पांच होते हैं। सौ कौरवों से लड़ने के लिए पांडव भी पांच थे। पांडवों ने कौरवों से अपने लिए पांच गाँव ही मांगे थे। हनुमान के बल और चरित्र की सम्पूर्णता पंचमुखी स्वरुप में ही निहित है। “पंचमुखी न्यूज़” ने अपनी संज्ञा के अनुरूप अपनी जवाबदेहियों को अंगीकार-स्वीकार कर लिया है। आज से “पंचमुखी न्यूज़” आपकी सेवा में प्रस्तुत है। -डॉ अरुण कुमार मयंक
Vare nice sir
बहुत अच्छी शुरूआत है। आज के दौर में इंक्लूसिव और बेबाक पत्रकारिता लुप्त होती जा रही है। हर कोई बायें या दायें से चलना चाहता है। ऐसा करना कइयों के लिये अपने वजूद को बचाये रखने की मजबूरी भी है। ऐसे में एक न्यूट्रल पत्रकारिता भरी दुपहरिया हवा के ठंढ़े झोंके की तरह है। शुभकामनाएं !!
To ,
Honorable S. K. PATEL.
Arun Kumar Mayank.
Your inaugurating passage contains unfathomable depth of the ocean and immeasurable spread of the sky.
Jagalal Chaudhary
To ,
Honourable S. K. PATEL.
Arun Kumar Mayank.
Your inaugurating passage contains unfathomable depth of the ocean and immeasurable spread of the sky.
Jagalal Chaudhary
सही समय पर, सही खबर। अरुण जी पत्रकारिता के मंझे खिलाड़ी है। इनके सानिध्य में यह बेबसाइट चल रहा है जो बढ़िया बात है।
Nishpaksh patrakarita aapki pahchan hai isiliye Aaj Panchmukhi news Samaj ke liye jaruri hai